Wednesday, January 20, 2016

पहली रोटी गाय की: एक पहल

गाय को वेदों और पुराणों में माता का दर्जा दिया गया है।हिंदु लोग गाय की पूजा करते हैं। प्राचीनकाल से ही गाय पूजनीय रही है। कहा जाता है कि गाय में 86 करोड़ देवी देवता निवास करते हैं।
लेकिन आज कलयुग में यही गौ माता दर दर भटकने को मजबूर हो गयी है।गौमाता आज इस तरह से बेसहारा हो गयी है कि धरती पर आज उसका खुद का जीवन गुजर बसर करना दुभर हो गया है।
लेकिन आज भी कुछ लोगो में मानवता बाकि है। इसी का नतीजा है कि एक बार फिर से गौमाता को आसरा देने के लिए दानी सज्जनों और गौ सेवको की मेहनत से जगह जगह पर गौशालाये खोली गयी है।इन गौशालाओं में गाय के लिए चारा पानी और उनकी उचित देखभाल की पूरी व्यवस्था होती है।
इसी पहल में गाँव गोयला कलां में भी एक गौशाला का निर्माण किया गया है। इसमें गाय के चारे पानी और देखभाल का उचित प्रबंध है। कहते है पहली रोटी गाय की। इसी को देखते हुए गौशाला की तरफ से एक नयी पहल की गयी है। अधिकतर औरते घर परिवार के काम में व्यस्त होने के कारण गाय की रोटी नही पंहुचा पाती। इसलिए गौशाला की तरफ से एक रिक्शा का प्रबंध किया गया है जो रोज सुबह घर घर जाकर गाय की रोटी और चारा लाने के लिए पुरे गाँव का चक्कर लगाती है।
हम सबको चाहिए कि इसमें हम अपना योगदान देकर गौमाता को एक बार फिर से उसी पूजनीय स्तिथि में पंहुचा सके।सारे हिन्दु भाइयो को एक गौ माता अपने घर में पालना चाहिए। इसी पहल से हम गौ माता की रक्षा कर सकेंगे।

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