Sunday, January 17, 2016

खत्म हुआ चुनावी दंगल, हुआ चौधर का फैसला

अन्त भला तो सब भला। जी हाँ महीनो से चला आ रहा चौधर का इंतजार आख़िरकार खत्म हुआ। सरकार और जनता के बीच चली लम्बी क़ानूनी लड़ाई में सरकार ने जीत हासिल की और इस बार चुनाव में पहली बार उम्मीदवार का शिक्षित होना अनिवार्य हुआ। इस नियम के लागू होने से जहा कुछ लोगो ने इसको एक सराहनीय कदम बताया वही दुसरी और कई लोगो की चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर पानी फिर गया।
गाँव गोयला कलां में भी इस नियम के लागु होने से कई लोगो की उम्मीदों पे पानी फिर गया और गाँव में पहली बार सिर्फ 3 उम्मीदवार चुनावी मैदान में आमने सामने थे। मुकाबला कांटे का था। तीनो ही उम्मीदवार एक दुसरे से बिल्कुल अलग परवर्ति के थे। पहले उम्मीदवार का जिक्र किया जाये तो जयपाल उर्फ़ जे पी धनखड़ सुपुत्र श्री राज सिंह मैदान में युवा जोश के साथ थे और पिछले लगभग एक साल से उन्होंने अपने इरादे साफ़ कर दिए थे। उनका चुनाव निशान साइकिल का था।लेकिन इस साइकिल को आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी गाँव की जनता की थी।
वही दुसरी और देवेन्द्र उर्फ़ खन्ना भी अपने अनुभव और जनता से सीधे लगाव के साथ एक बार फिर से मैदान में थे। उन्हें जीत निश्चित नजर आ रही थी। उनका चुनाव चिह्न गिलास था। अब जनता को फैसला करना था गिलास को भरना है या टुकड़े टुकड़े करना है।
खन्ना की जीत की उम्मीदों को झटका तब लगा जब एक और उम्मीदवार सोमिन्द्र साध उर्फ़ धोला ने भी चुनावी मैदान में अपनी उपस्तिथि दर्ज करायी। खजूर के पेड़ के निशान के साथ सोमिन्द्र ने भी अपनी जीत की दावेदारी पेश की।उनकी साफ़ छवि को देखते हुए भी जनता के बीच वे लोकप्रिय थे।
तीनो और से जनता को लुभाने के लोक लुभावन दावे और कोशिशे की गयी व झांसे दिए गए।
अब जनता के हाथ में था कि साइकिल को चलाना है ,गिलास को भरना है या खजूर के पेड़ पर भरोसा जताना है।
आख़िरकार सबकी इंतजार की घड़ी खत्म हुई और चुनाव की निर्धारित तिथि 10 जनवरी आ गयी। सुबह 7:30 से शाम 4 बजे तक मतदान हुआ और इस बार गाँव में रिकॉर्ड मतदान हुआ।
कुल 2426 मतदाताओं में से 2188 ने मतदान किया। जो अब तक का गाँव में सर्वाधिक मतदान पर्तिशत है।
अब समय था फैसले का जिसका सबको बेसब्री से इंतजार था। जैसे ही गिनती शुरू हुई तीनो उम्मीदवारों और उनके समर्थकों की साँसे मानो थम सी गयी थी।
लेकिन अन्ततः फैसला सुनाया गया और गाँव वालो ने अपना विश्वास साइकिल में दिखाया। जयपाल उर्फ़ जे पी धनखड़ 953 वोट लेकर विजयी घोषित हुए।जबकि दुसरे स्थान पर रहे देवेन्द्र उर्फ़ खन्ना को 607 वोट ही मिल पाए। वही तीसरे उम्मीदवार सोमिन्द्र को सिर्फ 558 वोट ही मिल सके।
गाँव की चौधर का फैसला हो चुका है। नवनिर्वाचित सरपंच जे पी धनखड़ ने पुरे गाँव में जीत की ख़ुशी में लड्डू बंटवाए।
इस फैसले से पिछले लगभग एक साल से चला आ रहा लोगो का नए सरपंच का इंतजार खत्म हुआ। लेकिन अभी भी ब्लॉक समिति का फैसला होना बाकि है जिसमे गाँव के 2 उम्मीदवार गाँव खेड़का गुज्जर के 2 उम्मीदवारों को चुनौती दे रहे है। इन 2 उम्मीदवारों में जहा एक और स्वर्गीय रिटायर्ड S.I. रामकंवार का बेटा आनंद उर्फ़ ढीले है दुसरी और रिटायर्ड S.I. उमेद सिंह है। अब देखना है कि बाजी दोनों में से किसके हाथ लगती है या कोई बाहरी इस बाजी में अपना वर्चस्व स्थापित करता है। इसका फैसला भी 28 जनवरी को हो जायेगा।
इस बार जिला परिषद में गाँव से कोई उम्मीदवार ना होने से लोग किसी को भी खुल कर सपोर्ट करने से बचते नजर आये लेकिन फिर भी गाँव का रुझान अंकुर गुभाना की तरफ ही ज्यादा रहा।
इसका फैसला भी 28 तारीख को ब्लाक समिति के साथ ही घोषित होगा।

No comments:

Post a Comment